दीवाली की बधाई
जैसे आती है हर साल, फिर से दीवाली आई है l
बूढों, बच्चों, युवकों के मन में, दीप जलाने आई है
ll
मैं भी दीप जलाता हूँ, उजियाला फैलाता हूँ l
मन का दीप जले कैसे, समझ नहीं मैं पाता हूँ ll
करूँ राम से यही प्रार्थना, प्रभु मन का दीप जला दो l
मन को अवधपुरी मानो, अज्ञान-तिमिर हटवा दो ll
मिटे अँधकार मनसे मेरा, हो जीवन में उजियाला l
'ओम' की राम से यही प्रार्थना, मन बसे अवध का लाला ll
हो दीवाली शुभ मित्र आपको, हो सारा जीवन मंगलमय l
'ओम' पड़ा चरणों में प्रभुजी, आन बसो सबके हिरदय ll
-ओम गुप्ता, दीवाली २०१२
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